एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में रहने वाला एक युवक जिसका नाम 'रवि' था। उसका सपना था कि उसका गाँव और उसके जीवन में कुछ बदलाव आये। एक दिन, रवि ने गाँव में आयोजित मेले में एक अनोखे रंग की
ढूंढा करोगे हर किसी में, देखना वो मंजर भी आएगा, हम याद भी आएंगे, और आँखों में समंदर भी आएगा। Dhoondha karoge har kisi mein, dekhna vo manzar bhi aayega, Hum yaad bhi aayenge, aur aankhon mein samundar bhi aayega.
जो कभी ना भर पाये ऐसा भी एक घाव है, जी हाँ ! उसका नाम लगाव है। Jo kabhi na bhar paaye aisa bhi ek ghav hai, Ji haan! Uska naam lagaav hai.
दूर रहकर भी मुझमें मौजूद हो तुम, इससे ज्यादा भी कोई करीब हो सकता है क्या । Door rahkar bhi mujhme maujud ho tum, Isse zyada bhi koi kareeb ho sakta hai kya.
शिकायतों की पाई पाई जोड़कर रखी थी मैंने, उसने गले लगाकर सारा हिसाब बिगाड़ दिया । Shikayato ki pai pai jodkar rakhi thi maine, Usne gale lagakar saara hisaab bigaad diya.
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