चुभता तो मुझे भी है, बहुत कुछ तीर की तरह, पर फिर भी खामोश हूँ मैं अपनी तकदीर की तरह। Chubhta to mujhe bhi hai, bahut kuch teer ki tarah, par phir bhi khamosh hun main apni taqdeer ki tarah.
अजीब तरह से गुजर गयी मेरी भी ज़िन्दगी, सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ, मिला कुछ। Ajeeb tarah se guzar gayi meri bhi zindagi, Socha kuchh, kiya kuchh, hua kuchh, mila kuchh.
ज़िंदगी भी किताब सी होती है, सब कुछ कह देती है खामोश रह के भी । Zindagi bhi kitaab si hoti hai, Sab kuch keh deti hai khamosh rah ke bhi.
जरा मुस्कुराना भी सीखा दे ऐ जिंदगी, रोना तो पैदा होते ही सीख लिया था ! Jara muskurana bhi sikha de ai zindagi, Rona toh paida hote hi seekh liya tha!
सपनों की कीमत इतनी बड़ी थी कि, माँ और घर दोनों छूट गये।
Most commented