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वो भी क्या हद थी, जो तेरे मेरे बीच एक हद थी। मुलाकात मुकम्मल न सही, मुहब्बत बेहद थी।
May 16, 2020
admin
ये जो जिन्दगी है ना तेरे बिन अधूरी है।
सच्चे दोस्त हमें कभी गिरने नहीं देते, न किसी कि नजरों मे न किसी के कदमों में।
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साझा सपना – एक प्यार भरी कहानी
वास्ता नहीं रखना तो नजर ही क्यूँ रखते हो, किस हाल में हूँ जिंदा, ये खबर ही क्यूँ रखते हो।
तेरे रुखसार पर ढले हैं मेरी शाम के किस्से, ख़ामोशी से मांगी हुई मोहब्बत की दुआ हो तुम।
वो साथ थे तो एक लफ़्ज़ ना निकला लबों से, दूर क्या हुए कलम ने कहर मचा दिया।
बहुत दिन से तुम्हें देखा नहीं है, ये आँखों के लिए अच्छा नहीं है।
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