टूटता है तो चुभता बहुत है, क्या काँच, क्या ख्वाब, क्या रिश्ता, क्या दिल।

आगाज़ - ए - मोहब्बत से अंज़ाम ए मोहब्बत तक, गुज़रा है जो कुछ हम पर तुमने भी सुना होगा।

तेरे साथ को तरसे तेरी बात को तरसे, तेरे होकर भी तेरी एक मुलाकात को तरसे।

जुड़े सबसे हैं हम, पर डूबे सिर्फ तुझमें हैं।

जिस की आँखों में कटी थी सदियां, उस ने सदियों की जुदाई दी है ।

मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना। ये जो जिंदगी है समझदार किये जाती है।

बस भरोसा मत तोडना बाकी सब तो हम, हँस कर सह लेंगे।

क्या पता था कि, मोहब्बत ही हो जाएगी, हमें तो बस तेरा मुस्कुराना अच्छा लगा था।

तुम्हारा हुस्न भी ढल जाएगा मेरी जान, अब तो ताजमहल भी सफ़ेद ना रहा।

दो पल रुका ख़्वाबों का कारवाँ, और फिर चल दिए तुम कहाँ हम कहाँ।

मैं तो उससे सारी बहस बस जीतने ही वाला था कि, उसने दोनों हाथ उठाकर बाल बांधने शुरू कर दिए।

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