चुभता तो मुझे भी है, बहुत कुछ तीर की तरह, पर फिर भी खामोश हूँ मैं अपनी तकदीर की तरह।

अजीब तरह से गुजर गयी मेरी भी ज़िन्दगी, सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ, मिला कुछ।

ज़िंदगी भी किताब सी होती है, सब कुछ कह देती है खामोश रह के भी ।

जरा मुस्कुराना भी सीखा दे ऐ जिंदगी, रोना तो पैदा होते ही सीख लिया था !

सपनों की कीमत इतनी बड़ी थी कि, माँ और घर दोनों छूट गये।

मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना। ये जो जिंदगी है समझदार किये जाती  है। 

बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर आँख बिस्तर पर ही खुलती थी !!

बिना समझ के भी, हम कितने सच्चे थे वो भी क्या दिन थे, जब हम बच्चे थे।

प्यार भरी 10 सुंदर हिंदी शायरी